कैसे शुरू हुई थी भाई दूज की शुरुआत, जानें क्यों मनाया जाता है यह त्योहार

हिंदूओं के प्रमुख त्योहार में भाईदूज का भी बहुत महत्व है. भाईदूज का पर्व दीपावली से 2 दिन बाद आता है, इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती हैं. स्कंदपुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस बार यह पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा. बता दें कि इसको मनाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है.

कहा जाता है कि स्कंदपुराण की कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संतान थीं, जिसमें बेटा यमराज और बेटी यमुना थी. यम पापियों को दंड देते थे. यमुना मन की निर्मल थीं और उन्हें लोगों की परेशानी देख दुख होता था इसलिए वे गोलोक में रहती थीं. एक दिन जब बहन यमुना ने भाई यमराज को गोलोक में भोजन के लिए बुलाया तो बहन के घर जाने से पहले यम ने नरक के निवासियों को मुक्त कर दिया था.

भाई, बहन के यहां करता है भोजन 
यदि कोई भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है तो वह अकाल मृत्यु से बच सकता हैं. कहा जाता है कि जो भी भाई बहन यह पर्व पूरे विधि विधान से मनाते हैं तो उनकी किसी दुर्घटना में मृत्यु होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. साथ ही भाई दूज मनाने से बहनों-भाईयों को सुख-समृद्धि, संपत्ति और धन की प्राप्ति होती है.

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