जमशेदपुर की गली-गली में नक्शा का विचलन कर बिल्डर बना रहे है बिल्डिंगें

 

विभाग बैठी है शिकायत के इंतजार में, मैडम प्रकाशित खबर से नहीं है संतुष्ट

 

जमशेदपुर : एक तरफ तो झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल की सुनवाई के दौरान लगी फटकार के बाद जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस विभाग शहर के बिल्डिंगों के बेसमेंट में बने दुकानों को हटाकर पार्किंग बनाने में जुटी हुई है। जबकि दूसरी तरफ बिल्डरों द्वारा जमशेदपुर की गली-गली में नक्शा का विचलन कर अवैध रूप से बिल्डिंगों का निर्माण भी किया जा रहा है। पूरे शहर में बिल्डरों ने आतंक मचा रखा है। सबसे ज्यादा कदमा और सोनारी में बिल्डरों द्वारा अवैध रूप से बिल्डिंगों का निर्माण कराया जा रहा है। बावजूद इसके विभाग शिकायत के इंतजार में बैठी हुई है। और तो और मैडम प्रकाशित खबरों से भी संतुष्ट नहीं हैं और जिसमें बिल्डरों के कारनामे भी छप रहे हैं। उनका कहना है कि खबरें तो छपते रहती है और इस आधार पर हम कैसे कारवाई करें। मगर उनको इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि खबरें प्रकाशित होने पर ही जिला प्रशासन की नींद खुलती हैं और वे अपनी साख बचाने के लिए उसपर अविलंब कारवाई भी करते हैं। वहीं अगर जमशेदपुर शहर की बात की जाय तो यहां बिस्टुपुर क्षेत्र के धातकीडीह मेन रोड पर अवैध रूप से सात तल्ला बिल्डिंग का निर्माण कर उसमें लेमन नाम से लग्जरी मॉल चलाया जा रहा है। इसी तरह कदमा थाना से महज 100 मीटर की दूरी पर न्यू रानी कुदर में बिल्डर द्वारा छह तल्ला कमर्शियल बिल्डिंग का अवैध रूप से निमार्ण करवाया जा रहा है। जबकि कदमा भाटिया बस्ती में तो बिल्डरों ने हद ही पार कर दी है। जिसका एक उदाहरण मंदिर पथ पार्क के बगल में खड़ी पांच तल्ला बिल्डिंग है। इस जगर पर रोड की चौड़ाई लगभग 12 से 14 फीट की होगी। जिसमें दो चारपहिया वाहन तक ठीक से आर-पार नहीं हो सकती। फिर भी यहां अवैध बिल्डिंगों का निर्माण जारी है। जबकि रामनगर रोड नंबर 4 में भी दो बिल्डिंगों का निर्माण चल रहा है। कदमा उलियान अनिल सुर पथ ए-रोड स्थित तालाब के चारों तरफ भी बिल्डिंगों का निर्माण जारी है। कदमा शास्त्री नगर ब्लॉक नंबर एक से लेकर ब्लॉक नंबर 5 तक बिल्डिंगे बन रही है। सिर्फ यही नहीं बीते मंगलवार को जमशेदपुर अक्षेस विभाग के स्पेशल ऑफिसर मुकेश कुमार कदमा बाजार कोयला टाल लाइन अग्रवाल इंडेन गैस एजेंसी के पास अतिक्रमण देखने पहुंचे थे। जहां उनकी नजर सरला कांप्लेक्स नामक बिल्डिंग पर भी गई। इस दौरान उन्होंने देखा कि बिल्डिंग के पार्किंग का इस्तेमाल व्यवसायिक रूप में किया जा रहा है। जिसके बाद उन्होंने कुछ तस्वीरें भी ली। मगर अबतक कारवाई नहीं हुई। अभी तो सिर्फ पार्किंग को लेकर अधिकारियों के पशीने छुट रहे हैं। अगर कहीं भविष्य में नक्शा विचलन को लेकर किसी ने झारखंड हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर दिया तो सोचिए फिर क्या होगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या शिकायत मिलने पर ही विभाग और जिला प्रशासन इनपर कारवाई करेगी? क्या विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों की नजर इन अवैध निर्माणों पर नहीं पड़ती? विभाग से नक्शा पास होने के बाद क्या अधिकारी उन बिल्डिंगों की सुध नहीं लेते? ऐसे कई सवालों के जवाब जनता जानना चाहती है।

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