विधायक सरयू राय ने औद्योगिक नगर की अधिसूचना पर उठाए कई सवाल, रद्द करने की मांग

मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से मंत्री परिषद का संकल्प व अधिसूचना को बताया असंवैधानिक

जमशेदपुर : विधायक सरयू राय ने एक पत्र के माध्यम से कहा है कि नियम-कानून को ताक पर रखकर जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित किया गया है और जो भारत का संविधान की धारा 243 (क्यू) के प्रासंगिक प्रावधान का अल्ट्रा वायरस (अधिकारातीत) है। साथ ही झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा 481 का भी अल्ट्रा वायरस (अधिकारातीत) है। इस तरह मंत्रिपरिषद का संकल्प और नगर विकास विभाग की अधिसूचना दोनों ही असंवैधानिक और गैरकानूनी है। जबकि उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरी वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि वे स्वयं नगर विकास एवं आवास मंत्री हैं। इसलिए उन्होंने मंत्रिपरिषद के संकल्प और नगर विकास विभाग की अधिसूचना को अविलंब वापस लेने की मांग भी की है। साथ ही कहा कि अधिसूचना में कई प्रकार की त्रुटियां भी हैं। जिसके तहत संकल्प और अधिसूचना में जमशेदपुर औद्योगिक नगरी का संचालन के लिए एक समिति भी बना दी गई है और जिसका अध्यक्ष जिला के प्रभारी मंत्री एवं स्थानीय मंत्री को बनाया गया हैं। संकल्प और अधिसूचना का यह अंश झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा 481(3) के प्रावधान के प्रतिकूल है। उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद के प्रासंगिक संकल्प और नगर विकास विभाग की प्रासंगिक अधिसूचना में नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा-481 में प्रावधान का उल्लंघन किया गया है। साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया है कि जमशेदपुर औद्योगिक नगरी समिति में उपायुक्त के स्थान पर प्रभारी मंत्री अथवा स्थानीय मंत्री का मनोनयन करते समय इस पद को लाभ के पद से अलग नहीं किया गया है। जिससे स्पष्ट है कि प्रभारी मंत्री अथवा स्थानीय मंत्री जैसे ही औद्योगिक नगर समिति के अध्यक्ष का पद धारण करेंगे, वैसे ही इसे लाभ का पद होने के कारण वे अपने विधानसभा की सदस्यता गंवा बैठेंगे। जिससे स्पष्ट होता है कि प्रासंगिक संकल्प और अधिसूचना आनन-फानन में जारी कर प्रचलित नियम-कानून का ध्यान भी नहीं रखा गया है। आगे विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री का ध्यान प्रासंगिक संकल्प और अधिसूचना में गठित जमशेदपुर औद्योगिक नगरी समिति के सदस्यों के मनोनयन की ओर आकृष्ट कराते हुए कहा कि जमशेदपुर औद्योगिक नगरी समिति का गठन करते समय जनता के संवैधानिक अधिकारों की घोर उपेक्षा भी की गई है। समिति में 11 प्रतिनिधि टाटा स्टील की ओर से, 6 प्रतिनिधि राज्य सरकार की ओर से और स्थानीय शहरी प्रतिनिधि के रूप में 10 सदस्य (जमशेदपुर के सांसद, जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी के विधायक समेत) शामिल किए गए हैं। प्रासंगिक संकल्प और अधिसूचना में यह भी अंकित है कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के 16 वार्ड को शामिल किया गया है। मगर वार्ड के निर्वाचित प्रतिनिधियों को इसमें जगह नहीं दी गई है। अंत में उन्होंने मुख्यमत्री से आग्रह किया है कि संकल्प और अधिसूचना को निरस्त कर औद्योगिक नगर समिति में सभी वार्डों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी स्थान सुनिश्चित करें। जिससे जनता का तीसरा मताधिकार सुरक्षित रहे।

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