किसी प्रकार का कोई ग्राम सभा हुआ ही नहीं: रैयत
बड़कागांव: बड़कागांव प्रखंड के गोंदलपुरा पंचायत के किसानों कर्णपुरा बचाओ संघर्ष समिति ने आज बड़कागांव पश्चिमी पंचायत भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में समिति के अध्यक्ष विनय कुमार उर्फ विकास कुमार, उप मुखिया रवि कुमार,चंदन कुमार कृष्ण यादव, पिंटू कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि प्रस्तावित ग्राम सभा / लोक सुनवाई जो महुगाईं कला पंचायत भवन में आहूत की गई थी , वहां प्रभावित गांव की जनता विरोध में पूरे समय तक डटी रही. जिसके कारण उक्त स्थल पर कोई प्रशासनिक पदाधिकारी या कंपनी के पदाधिकारी नहीं पहुंच पाए. इस कारण ग्राम सभा हुआ ही नहीं. किसानों ने बताया कि अदानी कोल कंपनी की ग्राम सभा को अखबार में छपवाया है ,वह फर्जी ग्राम सभा है . क्योंकि वहां पर रैयतो और ग्रामीणों की कोई सहमति नहीं थी.
इसके बावजूद आज के विभिन्न दैनिक अखबारों छपी है कि लोक सुनवाई संपन्न हुई, जो झूठी ही नहीं जन विरोधी भी है. अगर, यह समाचार सत्य है तो प्रशासनिक पदाधिकारी का जन विरोधी एवं कंपनी हित में काम करने का जो आरोप लगता है वह सत्य साबित होता है. हम सब प्रभावित गांवों के लोग प्रशासनिक पदाधिकारी के इस कार्य के खिलाफ हैं और आगे आन्दोलन का रास्ता देखेंगे. साथियों भारत सरकार के एल ए आर आर एक्ट 2013 में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि कोई भी परियोजना प्रभावित गांव की 80 प्रतिशत जनता की स्वीकृति के बाद ही लगेगी जबकि अडानी के इस परियोजना में कोई आम सभा अथवा ग्राम सभा इस हेतु आज तक नहीं हो पाई है. इसके अतिरिक्त भारत की संविधान की धारा 48,’ क ‘ में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि केंद्र और राज्य की सरकारें वन और वन्य जीव का संरक्षण और संवर्धन करेंगे. अब आप ही सोचिए क्या इस परियोजना से वन और वन्य जीव सुरक्षित और संरक्षित रहेंगे अथवा उनके ऊपर खतरा मंडराएगा.
वर्तमान समय में इस क्षेत्र में हो रहे खनन परियोजनाओं के कुप्रभाव से हाथी के उत्पात को आप सब देख रहे हैं. यही नहीं बड़कागांव से हजारीबाग तक जाने में दोपहिया वाहन में कितना धूल लोग खा रहे हैं. उसके आप भी गवाह हैं. पर्यावरणीय एवं संविधान की विभिन्न धाराओं एवं प्रभावित गांव की जनता के भविष्य में होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखकर हम सब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अडानी का यह परियोजना देश हित में नहीं है और ना ही पर्यावरण हित में है न हीं यह परियोजना प्रभावित गांवों के जनहित में है.
हां, इस परियोजना से अदानी और उसकी कंपनी में अघोषित रूप से धन लगाने वाले नेता अवश्य लाभ में रहेंगे. अब निर्णय इस क्षेत्र को करना है अडानी हित या जनहित.