शोधार्थियों व प्रतिभागियों को मोमेन्टो प्रशस्ति पत्र देकर किया गया सम्मानित
टंडवा: वनांचल महाविद्यालय परिसर में छात्र छात्राओं के बौद्धिक विकास के साथ वर्तमान समय में कवि प्रसाद की प्रासंगिकता विषय दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन शुक्रवार को किया गया। सेमिनार में अंतर्राज्यीय विश्वविद्यालयों के उन्नीस प्रतिभागी एवं 61 शोधार्थियों ने हिस्सा लिया । जिन्हे आयोजक विनोवा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के हिन्दी विभाग द्वारा मोमेन्टो व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया । संगोष्ठी के समापन समारोह को अध्यक्षीय संबोधन में केन्द्रीय विश्वविद्यालय कोराकूट उड़ीसा के प्रो जेवी पान्डेय ने कहा कि कवि जयशंकर प्रसाद के 41 वर्ष के जीवन काल में उनकी प्रासंगिकता कवि व नाटककार के रूप में आज भी बनी हुई है। उन्होने कहा कि जयशंकर प्रसाद नाट्य व साहित्य क्षेत्र में भारत का एक सांस्कृतिक गौरव है। जिनके नाटक आज भी प्रासंगिक है। इसे पूर्व विनोवा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष कृष्णा कुमार गुप्ता, प्रो सुबोध सिंह शिवगीत, डॉ सोमर साहु सुमन, प्रो सी पी दांगी, प्रो गोकुल नारायण दास, प्रो उत्तम पान्डेय, प्रो राजीव कुमार, वनांचल कॉलेज के संस्थापक सह पूर्व प्राचार्य प्रो बिगुल प्रसाद आदि ने अपने व्याख्यान में जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता व नाटक के उपदेशों को विस्तार से रखा। संगोष्ठी में आए प्रतिभागियों, शोधार्थियों व अतिथियों को वनांचल महाविद्यालय के सचिव अक्षयवट पान्डेय, प्रभारी प्राचार्य संजय नारायण दास, प्रो प्रतिमा शरण, प्रो ज्योति सिन्हा ने मोमेन्टो, प्रशस्ती पत्र व अंगवस्त्र देकर स्वागत किया। प्रो मनोज कुमार सिन्हा ने संगोष्ठी का विश्लेषण प्रस्तुत किया। जबकि कालेज के वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो नवल किशोर प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो मनोज पान्डेय, प्रो रामदेव पासवान, नीलम कुमारी,प्रमोद पाठक, प्रफुल्ल पान्डेय, छोटन राम, विजय राम,युगेश्वर रजक, सुधा,कुमारी, श्वाति कुमारी समेत छात्र छात्राओं का नाम शामिल है। संगोष्ठी के मंच संचालन भाषा मिश्रा व अनुपम कुमार ने किया। संगोष्ठी के आयोजन पर बुध्दिजीवियों व साहित्य प्रेमियों ने विनोवा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग एव वनांचल कॉलेज के प्रति आभार जताया हैं।