नवनिर्माण से जीर्णोद्धार ज्यादा अहम – किशोर कुणाल
– सरयू राय ने तमाम भ्रांतियों को दूर किया, मंदिर बनाने का मकसद जनकल्याण होना चाहिए
जमशेदपुर : श्री महावीर मंदिर पटना के संरक्षक सह पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने कहा कि किसी नए मंदिर के निर्माण से ज्यादा अहम है, किसी पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करना। मंदिर का जीर्णोद्धार ज्यादा महत्वपूर्ण काम है और सरयू राय ने वही किया है। वहीं श्री लक्ष्मी-नारायण प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ के चौथे दिन आयोजन नगर भ्रमण यात्रा में खास तौर पर शामिल होने पहुंचे किशोर कुणाल ने कहा कि भ्रम, भ्रांति से बचना जरूरी है। यह भ्रांति है कि शिवलिंग बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। हम लोग जो सबसे बड़ा मंदिर बना रहे हैं, उस शिवलिंग की ऊंचाई ही 33 फीट की है और उसका वजन 250 मीट्रिक टन है। भ्रांतियां उनके लिए हैं, जिनका दिल कमजोर है और जो डरते हैं। मजबूत लोगों के लिए कोई भ्रांति नहीं होती। विधायक सरयू राय ने तमाम भ्रांतियों को खत्म करके ही जीर्णोद्धार का काम शुरू किया। बस आप जो करने जा रहे हैं, उसको लेकर आपका मन साफ होना चाहिए। परमात्मा भी देखता है कि कौन क्या कर रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर ऐसा बनना चाहिए, जो जन के लिए हो और जिसका मकसद जनकल्याण ही हो। और कुछ नहीं। जनता का पैसा मंदिर में लगे और उस पैसे से जनकल्याण हो तो मंदिर की महत्ता बढ़ जाती है। मुझे भरोसा है कि श्री लक्ष्मी-नारायण मंदिर भी ऐसा ही होगा। उन्होंने बताया कि धर्म के चार अंग हैं। पहला कर्मकांड, दूसरा दर्शन, तीसरा नैतिक मूल्य और चौथा परोपकार है। अगर आप इन चारों पर चलते और मानते हैं तो आप धार्मिक हैं। इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं। इस अवसर पर किशोर कुणाल ने कहा कि हम लोग दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बना रहे हैं। अब तक उसमें 100 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुका है। यह पैसा कहां से आया। यह पैसा मंदिर ट्रस्ट का है। हमारा सिस्टम ऐसा है कि अब तक 100 करोड़ रुपए खर्च कर दिए और किसी से एक रुपया भी मांगा नहीं। अब सोच रहे हैं कि चार माह बाद जनता से अपील करें। अब तक जनता से हम लोगों ने कोई अपील नहीं की है। उन्होंने श्री लक्ष्मी-नारायण मंदिर को झारखंड के लिए शुभ संकेत बताया है। उन्होंने कहा कि मैं सरयू राय की नीयत से वाकिफ हूं। उनकी नीयत बहुत अच्छी है। मैं मान कर चल रहा हूं कि यह मंदिर शानदार तरीके का बनेगा और युगों-युगों तक लोग इस मंदिर की तारीफ भी करेंगे। यह मंदिर बेहतरीन तरीके से चलेगा। साथ ही उन्होंने इच्छा जताई कि वह बक्सर से बाहर निकलते ही एक स्थान पर भगवान राम-लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं। अगर यह हो गया तो उनके जीवन की बड़ी उपलब्धियों में से एक होगा। इसी तरह झारखंड उच्च न्यायालय के वरीय न्यायमूर्ति एसएन पाठक ने कहा कि वे सारे प्रोटोकॉल तोड़कर यहां आएं हैं। क्योंकि यहां मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य हो रहा है। यह मेरी आस्था का सवाल है। धर्म तर्क का विषय नहीं, आस्था का विषय है। वे मानते हैं कि हमारे संविधान में लिखित सेक्युलरिज्म हमारे पुराने और पवित्र ग्रंथ रामायण में भी है। आप रामायण को पढ़ेंगे तो आपको समझ में आएगा कि इस कृति में कैसे सेक्युलरिज्म है। उन्होंने कहा कि जैसे हनुमान जी के बगैर रामजी अधूरे थे, वैसे ही सरयू राय के बगैर वे भी अधूरे हैं। क्योंकि बक्सर में जिस शिव भगवान की मंदिर का वे जीर्णोद्धार कर रहे हैं, वह सरयू राय के बगैर संभव ही नहीं था। दरअसल उस मंदिर के जीर्णोद्धार का श्रेय भी उन्हें ही है। उन्होंने कहा कि बक्सर के गांव ब्रह्मपुर के शिव मंदिर का जीर्णोद्धार बिना सरयू राय के मदद से होता ही नहीं। वे यही कह सकते हैं कि इस मंदिर के जीर्णोद्धार को संपन्न कराने में वे चट्टान की तरह अडिग है। इससे पूर्व पूर्वी के विधायक सह श्री लक्ष्मी-नारायण मंदिर जीर्णोद्धार समिति के संयोजक सरयू राय ने सर्वश्री किशोर कुणाल और वरीय न्यायमूर्ति एसएन पाठक का परिचय कराया। इस तरह दोनों महानुभावों के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की। उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार से संबंधित अपने अब तक के अनुभव आगंतुकों से साझा करते हुए कहा कि वे इस मंदिर के न तो निजी, न ही राजनीतिक इस्तेमाल होने देंगे। यह शुद्ध रुप से एक धार्मिक मंदिर होगा और जहां धर्म की चर्चा होगी। धार्मिक कार्य होंगे और मेरी अभिलाषा है कि यहां एक वेद अनुशीलन केंद्र बने और एक पुस्तकालय हो। जिसका लाभ समाज के सभी वर्गों को मिले। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन अशोक गोयल ने किया। मौके पर मंच पर जमशेदपुर के जिला जज अनिल कुमार मिश्रा, अशोक भालोटिया, दिलाप गोयल, एसके बेहरा, आदर्श दोदराजका, बालमुकुंद गोयल, अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, शंकर गुप्ता, भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी, अधिवक्ता कैलाश कुमार अग्रवाल, अधिवक्ता शंकर लाल अग्रवाल, जीवन नरेड़ी, शिव शंकर सिंह, अभिषेक भालोटिया, जसवंत सिंह, रवि सिंह, आशुतोष राय, अनिकेत सिंह, हरे राम सिंह समेत अन्य भी उपस्थित रहे। इसके पूर्व शनिवार की सुबह भगवान श्री लक्ष्मी-नारायण की विधिवत पूजा की गई। प्रभु को औषधियुक्त जल से स्नान करवाने के बाद उनकी आंखों में वही जल डाला गया। जिसे नेत्रोउन्मूलन प्रक्रिया के नाम से जाना जाता है। दिन में आवाहित देवताओं के पूजन के बाद हवन, पाठ भी किया गया। वहीं संध्या काल में सभी देवी-देवताओं के विग्रहों को गाड़ियों में बिठाकर नगर भ्रमण कराया गया। जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान भक्त झूमते-नाचते और प्रभु का जयकारा लगाते हुए चल रहे थे। जिसके श्री भगवान जी का श्य्याधिवास कराया गया। जबकि रविवार को आवाहित देवताओं का पूजन, प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा, पूर्णाहुति एवं भोग वितरण होगा। भोग वितरण दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होगा।