गिरिडीह लोकसभा सीट के लिए मतदान कल,मथुरा, चंद्रप्रकाश और जयराम,किसके सिर पर सजेगा ताज?

मो.ओबैदुल्लाह शम्सी

लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण में कल 25 मई को गिरिडीह संसदीय क्षेत्र की जनता अपने अगले सांसद का निर्वाचन करने के लिए मतदान करेगी। गिरिडीह लोकसभा में जीत के प्रबल दावेदार के तौर पर जेएमएम के मथुरा महतो, आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी और निर्दलीय प्रत्याशी जयराम महतो की ही चर्चा मुख्य रूप से जनता के बीच देखने और सुनने को मिल रही है। सच है कि मथुरा टुंडी से तीन टर्म विधायक रहे हैं तो चंद्रप्रकाश गिरिडीह से पुर्व सांसद जबकि जयराम ने अभी राजनीति में अपना पदार्पण ही किया है। कोई कुछ भी कहे लेकिन गिरिडीह लोकसभा सीट पर मुकाबला तो त्रिकोणीय ही है।

कोडरमा लोकसभा सीट के लिए चुनाव पूरी तरह से द्विपक्षीय रहा लेकिन गिरिडीह में जयराम को कमतर नहीं आंका जा सकता है। भले ही कोई सार्वजनिक मंच पर इसे स्वीकार करे अथवा नहीं लेकिन अंतर्मन से इसे अवश्य स्वीकारेंगे कि जयराम ने अपने महज़ देढ़ – दो साल के लघु राजनीतिक करियर में प्रदेश के कई राजनीतिक धुरंधरों को भी सोचने पर विवश कर दिया है।‌ यह कहना गलत नहीं होगा कि देश एवं प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक परिपेक्ष्य में यदि लोगों के हाथ बंधे नहीं होते तो बीजेपी और जेएमएम जैसी पार्टियों को जयराम की ताकत का अहसास और भी अच्छी तरह से हो जाता। जयराम अभी चुनाव जीतने की स्थिति में हैं अथवा नहीं यह महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन वह झारखण्ड की राजनीति के भविष्य हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। जयराम की चुनावी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ यदि वोट में परिवर्तित हो गई तो इतिहास बनते देर भी नहीं लगेगा। ऐसा नहीं है कि इससे पुर्व किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने चुनाव नहीं जीता है। प्रदेश में ही ऐसे दर्जनाधिक उदाहरण हैं।

संसदीय क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से बार-बार चंद्रप्रकाश की निजी योग्यता और उनके द्वारा बतौर सांसद क्षेत्र में काम करने की विफलता सामने आई है और लोगों ने मुक्त कंठ से स्वीकारा है कि मोदी जी के नाम उन्हें वोट देना उनकी विवशता है। मथुरा महतो को भी क्षेत्र में लोग उन्हें निजी तौर पर कम और पार्टी के आधार पर अधिक जान रहे हैं।

जयराम महतो बगैर किसी पार्टी और बड़े बैनर के क्षेत्र के युवाओं और महिलाओं के बीच अपनी गहरी पैठ और पहचान बना चुके हैं। संसदीय क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में न केवल युवा और महिलाएं बल्कि अनुभवी मतदाताओं ने भी इस बार बदलाव और युवा नेतृत्व की बात कही है।
बहरहाल लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है और अंतिम निर्णय भी उसे ही लेना है। कल मतदान के दौरान गिरिडीह संसदीय क्षेत्र के मतदाता अपने निर्णय को ईवीएम में बंद करेंगे और आगामी 4 जून को पता चल जाएगा कि आखिर जनता ने गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से अगला सांसद के रूप में किसे चुना है?

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